जो होना है वो हो कर रहेगा
एक जंगल में कई सारे पशु पक्षी रहते थे। एक दिन उनके मन में बिचार आया कि उनके साथ अन्याय हो रहा है।उनके जंगल में भी प्रजातंत्र होना चाहिए। ये अन्याय है की हमेशा सिंह ही राजा होता है। एक सिंह मरता है तो उसका बेटा राजा हो जाता है। सभी पशु पक्षियों की सभा बुलाई गई। उनके बीच यह प्रस्ताव रखा गया। सबों को प्रस्ताव बहुत ही अच्छा लगा। परन्तु समस्या यह थी कि इसके लिए सिंह का राजी होना जरुरी था। सबों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि पहले सिंह को राजी किया जाये क्योंकि बिना उसके राजी हुए तो बात आगे बढ़ ही नहीं सकती। कुछ पशु पक्षी मिलकर सिंह के पास गए तथा अपना प्रस्ताव उसके पास रखा। अप्रत्याशित बात यह हुई कि सिंह तुरत राजी हो गया।
अब समस्या यह थी कि मुख्य चुनाव अधिकारी किसे नियुक्त किया जाये क्यों कि निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न करने के लिए एक ईमानदार मुख्य चुनाव अधिकारी की आवश्यकता होती है। कई नामों पर विचार करने के बाद यह निश्चय हुआ कि यमराजजी को इस काम के लिए नियुक्त किया जाये। यमराजजी के नाम पर सहमति इसलिए हुई क्यों कि उनके नजर में गरीब, अमीर, कमजोर, ताकतवर सब बराबर है। गरुड़जी चूँकि विष्णुजी के वाहन हैं उन्हें इस काम की जिम्मेवारी दी गयी। गरुड जी ने जब यमराजजी से निवेदन किया तो वो तुरंत राजी हो गए तथा उन्होंने आश्वाशन दिया की वो नियत समय पर पहुँच जायेंगे।
नियत दिन एवं समय पर यमराजजी आकर अपने आसन पर विराजमान हो गए। जंगल के सभी पशु पक्षी धीरे-धीरे जमा होने लगे। इतने में यमराजजी की नजर एक छोटे से तोते के उपर पड़ गयी। वो लगातार एक टक तोते को देखने लगे। तोते ने भी यमराजजी को अपने तरफ देखते हुए देखा। यमराजजी लगातार एक टक तोते को ही देख रहे थे। यमराजजी के नजर से तो किसी को भी कंपकपी छूट सकती है, फिर वह तो छोटा सा तोता ही था। वह बहुत ही भयभीत हो गया।
डर के मारे वह गरूडजी के पास पहुंचा तथा अपने भय की बात उन्हें बतायी। गरूडजी ने उससे पूछा कि तुम मेरे पास क्यों आये हो और मुझसे क्या चाहते हो। गरूडजी आप तीनो लोक में सबसे तेज उड़ने वाले पक्षी है इसलिए अपने पंखों के बीच मुझे दबा कर किसी बहुत ही दूर द्वीप पर छोड़ दें जहाँ तक यमराजजी की नजर नहीं पहुंचे। गरूडजी ने कहा ये तो मेरे लिए बहुत ही आसान कम है, मै अभी तुम्हे वहां छोड़ कर आता हूँ। इतना कह कर गरूडजी ने उसे अपने एक पंख में दबा लिया और कुछ ही मिनटों में उसे वहां छोड़ कर आ गये।
इस बीच यमराजजी का ध्यान इधर-उधर भटक गया था। जब थोड़ी देर बाद उन्होंने तोते को ढूंढा तो तोता कहीं नहीं दिखा। फिर उन्हें ध्यान आया कि वो तोता यमराजजी के साथ कुछ खुसर-फुसर कर रहा था। उन्होंने यमराजजी को अपने पास बुलाया तथा पूछा कि वो तोता जो आपके पास खुसर-फुसर कर रहा था वो कहाँ गया।
यमराजजी ने उनसे पूछा की आप उसके बारे में क्यों पूछ रहे हैं, वो आप की नज़रों से डर गया था क्योंकि आप जबसे यहाँ आये हैं लगातार उसे ही घूरे जा रहे थे। मैं आपको कारण तो बता दूंगा लेकिन पहले आप मुझे यह बताइये कि आपने उस तोते के साथ क्या किया। उसने मुझसे सहायता मांगी कि मैं उसे कहीं बहुत दूर किसी द्वीप पर छोड़ दूं। इसलिये मैं ने उसे उस द्वीप पर छोड़ दिया है।
यह सुनकर यमराजजी ने कहा की गरूडजी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं आपका आभारी हूँ। मैं बहुत ही परेशान था और इसलिए बार-बार उसको देख रहा था कि इतना छोटा तोता इतनी जल्दी इतने दूर द्वीप पर कैसे पहुंचेगा, क्यों की अभी से पांच मिनट बाद उस तोते की मृत्यु उसी द्वीप पर लिखी हुई है। अगर आपने सहायता नहीं की होती तो वह तोता वहां कभी नहीं पहुँच सकता था तथा उस स्थिति में भाग्य का लिखा गलत हो जाता।
अब समस्या यह थी कि मुख्य चुनाव अधिकारी किसे नियुक्त किया जाये क्यों कि निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न करने के लिए एक ईमानदार मुख्य चुनाव अधिकारी की आवश्यकता होती है। कई नामों पर विचार करने के बाद यह निश्चय हुआ कि यमराजजी को इस काम के लिए नियुक्त किया जाये। यमराजजी के नाम पर सहमति इसलिए हुई क्यों कि उनके नजर में गरीब, अमीर, कमजोर, ताकतवर सब बराबर है। गरुड़जी चूँकि विष्णुजी के वाहन हैं उन्हें इस काम की जिम्मेवारी दी गयी। गरुड जी ने जब यमराजजी से निवेदन किया तो वो तुरंत राजी हो गए तथा उन्होंने आश्वाशन दिया की वो नियत समय पर पहुँच जायेंगे।
नियत दिन एवं समय पर यमराजजी आकर अपने आसन पर विराजमान हो गए। जंगल के सभी पशु पक्षी धीरे-धीरे जमा होने लगे। इतने में यमराजजी की नजर एक छोटे से तोते के उपर पड़ गयी। वो लगातार एक टक तोते को देखने लगे। तोते ने भी यमराजजी को अपने तरफ देखते हुए देखा। यमराजजी लगातार एक टक तोते को ही देख रहे थे। यमराजजी के नजर से तो किसी को भी कंपकपी छूट सकती है, फिर वह तो छोटा सा तोता ही था। वह बहुत ही भयभीत हो गया।
डर के मारे वह गरूडजी के पास पहुंचा तथा अपने भय की बात उन्हें बतायी। गरूडजी ने उससे पूछा कि तुम मेरे पास क्यों आये हो और मुझसे क्या चाहते हो। गरूडजी आप तीनो लोक में सबसे तेज उड़ने वाले पक्षी है इसलिए अपने पंखों के बीच मुझे दबा कर किसी बहुत ही दूर द्वीप पर छोड़ दें जहाँ तक यमराजजी की नजर नहीं पहुंचे। गरूडजी ने कहा ये तो मेरे लिए बहुत ही आसान कम है, मै अभी तुम्हे वहां छोड़ कर आता हूँ। इतना कह कर गरूडजी ने उसे अपने एक पंख में दबा लिया और कुछ ही मिनटों में उसे वहां छोड़ कर आ गये।
इस बीच यमराजजी का ध्यान इधर-उधर भटक गया था। जब थोड़ी देर बाद उन्होंने तोते को ढूंढा तो तोता कहीं नहीं दिखा। फिर उन्हें ध्यान आया कि वो तोता यमराजजी के साथ कुछ खुसर-फुसर कर रहा था। उन्होंने यमराजजी को अपने पास बुलाया तथा पूछा कि वो तोता जो आपके पास खुसर-फुसर कर रहा था वो कहाँ गया।
यमराजजी ने उनसे पूछा की आप उसके बारे में क्यों पूछ रहे हैं, वो आप की नज़रों से डर गया था क्योंकि आप जबसे यहाँ आये हैं लगातार उसे ही घूरे जा रहे थे। मैं आपको कारण तो बता दूंगा लेकिन पहले आप मुझे यह बताइये कि आपने उस तोते के साथ क्या किया। उसने मुझसे सहायता मांगी कि मैं उसे कहीं बहुत दूर किसी द्वीप पर छोड़ दूं। इसलिये मैं ने उसे उस द्वीप पर छोड़ दिया है।
यह सुनकर यमराजजी ने कहा की गरूडजी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं आपका आभारी हूँ। मैं बहुत ही परेशान था और इसलिए बार-बार उसको देख रहा था कि इतना छोटा तोता इतनी जल्दी इतने दूर द्वीप पर कैसे पहुंचेगा, क्यों की अभी से पांच मिनट बाद उस तोते की मृत्यु उसी द्वीप पर लिखी हुई है। अगर आपने सहायता नहीं की होती तो वह तोता वहां कभी नहीं पहुँच सकता था तथा उस स्थिति में भाग्य का लिखा गलत हो जाता।
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